बे-सर-पैर की बातें कर रहा हूँ
घर होकर भी बे-घर फिर रहा हूँ
बे-सर-पैर की बातें कर रहा हूँ
घर होकर भी बे-घर फिर रहा हूँ
तारे गिन गिन दिन को रात
रात को दिन कर रही हूँ
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुक़र मनावां तक़दीराँ दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुक़र मनावां तक़दीराँ दा
बैठे बैठे मैं येह सोचूँ
तू संग बैठा हो तो
मिल के बातें होंगी दो दो
उम्र यूँ ही काटें हम दो
सुबह सुबह मैं फिर जागूँ
पास में सोयी हो तू
कानों में गा कर कुछ तो
मैं रोज़ जगा दूँ तुझको
सपने बुन-बुन धुन को राग
राग को धुन कर रही हूँ
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुक़र मनावां तक़दीराँ दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
तू पुछ नहियो हाल फ़कीरा दा
मिलेया जे माही मेरा मैनू मिलेया
शुक़र मनावां तक़दीराँ दा